अरबी भाषा में एक कहावत है, किसी भी दौड़ते हुए घोड़े को चाबुक मत मारिये, वर्ना वो ज़ोर से उछलेगा और आपको गिरा देगा| इंदौर नगर निगम आज देश का बेस्ट नगर बनने की रेस में अग्रणी है| पिछले चार सालो में इंदौर की मीडिया और लोगो ने इंदौर की पुरानी मेयर श्रीमती मालिनी गौर की तारीफ़ में बोरिया भर भर के खील बताशे पब्लिश किये| इस बात में कोई दोराय नहीं है की श्रीमती मालिनी गौर ने इंदौर को उस तरह से क्लीन रखने की कोशिश की जैसे कोई सुघड़ गृहिणी अपनी रसोई में साफ़ सफाई का ध्यान रखती है| वो कामयाब भी हुयी| यही कहानी इंदौर के सौदर्यीकरन पर भी लागू होती है, मालिनी जी ने इंदौर के बाग़ बागीचो को अपने ड्राइंग रूम जैसा सुन्दर बना दिया| ये बात हम नहीं कह रहे आंकड़े कह रहे हैं और आंकड़े झूठ नहीं बोलते|आम जनता और ख़ास तौर से महिला वर्ग श्रीमती मालिनी गौर के इस योगदान से परिचित है और उनकी लीडरशिप में सफाई और नगर विकास के अगले स्तर पर जाने को तैयार है, मगर बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व को शायद ऐसा नहीं लगता है| कांग्रेस की ओर से संजय शुक्ला को मेयर पद का प्रत्याशी बनाने के बाद जो हालात उभरे उनमें बीजेपी के लिए ज़रूरी हो जाता है की वो भी अपने प्रत्याशी का नाम डिक्लेअर करे| आज संजय शुक्ला की हालत WWF के बोक्सिंग रिंग में खड़े उस बॉक्सर जैसी है जो प्रतिद्वंदी का इंतज़ार करते करते थक गया है| सबसे बड़ी बात ये है की बी जे पी प्रत्याशी के ना होने की वजह से आधे लोगो को तो संजय शुक्ला अभी से इंदौर के मेयर नज़र आने लगे हैं| ये थोड़ी बारीक साइकोलॉजी है मगर इसका असर बड़ा ज़बरदस्त होता है|
बीते
दिनों इंदौर के सांसद श्री ललवानी जी को चुनाव प्रभारी बनाया गया तो लगा की मेयर
पद के प्रत्याशी चयन में लगी फांस अब निकल जायेगी और संजय शुक्ला को कड़ी टक्कर मिलना शुरू होगी| मगर
मेयर पद
के प्रत्याशी के बारे में पूछने पर ललवानी जी ने मीडिया को बड़ा टका सा जवाब दिया| उन्होंने कहा की इंदौर के
विकास में किसी व्यक्ति का नहीं भाजपा के पूरे संगठन का हाथ है| उसके बाद उन्होंने
संगठन के प्रतिष्ठा, परंपरा और अनुशासन से जुड़ा वो डायलाग दोहरा दिया जो अब
मतदाताओ को रट गया है| यकीनी तौर पर लोकत्रंत के लिए ये बहुत स्वस्थ्य परंपरा है|
मगर ललवानी साहब के इस बयान का विरोधाभास आप महसूस कर पायेंगे जैसे ही बी जे पी की
ओर से किसी प्रत्याशी का नाम announce होगा| उसके बाद सारे कार्यकर्ता एक सौ आठ
मनको की माला लेकर उस व्यक्ति विशेष का नाम जपना शुरु कर देंगे| मीडिया के एंकर
कालिदास, भास्, पन्त और निराला के शब्दकोशों से निकाल कर उसी चेहरों को विशेषणों के
मेकअप से पोत देंगे| मतदान से पहले कांग्रेस पार्टी का सत्तर साल पुराना इतिहास
खुलेगा, मिथुन चक्रवती और रेखा अभिनीत फिल्म भ्रष्टाचार के संवाद गली कूचो में
गूंजेंगे और शोर-शराब में डूबा हुआ मतदाता एक अजीब से नशे में वोट डाल आएगा|
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