मुरैना में ज़हरीली शराब ने जो तांडव मचाया है वो “Morena Hooch Tragedy” के keywords के साथ धीरे धीरे इन्टरनेट पर ट्रेंड होने लगा है| जैसा की हमने कल भी कहा था, जिन दो गाँवों से शराब बेचीं गयी है वो सिर्फ tip of the iceberg है असली पिक्चर तो कहीं और से ही ऑपरेट हो रही है| ये बात सच साबित हुयी जब पडोसी गाँव छेरा और बागचीनी में खेतो और तालाबो की सर्च हुयी| कई तालाबो और खेतो में से सैकड़ो की तादाद में बोरा भर भर के शराब के क्वार्टर बरामद हुए है| मामले की जांच कर रही एस आई टी और पुलिस के बाकी दलों को ग्रामीणों ने बताया की बागचीनी और छेरा में नकली शराब का कारोबार पिछले कई सालो से फल फूल रहा है और इसका मुख्य कारण इस कारोबार को मिला राजनेतिक संरक्षण भी है|
जिस
स्तर
पर
इस
कारोबार
के
फैले
होने
का
अंदेशा
जताया
जा
रहा
है
उसे
देख
कर
लगता
है
की
घटना
की
जांच
काफी
लम्बी
चल
सकती
है|
जिस
तरह
विकास
दुबे
काण्ड
में
एक
बाद
एक
परते
खुली
थी
उसी
तरह
चम्बल
के
बीहड़ो
में
बसे
इन
दो
गाँवों
की
कंदराओ
में
नकली
शराब
के
निर्माण
और
परिवहन
के
कुछ
ऐसे
साक्ष्य
और
स्त्रोत
मिल
सकते
है
जिनका
सीधा
असर
प्रदेश
के
आबकारी
विभाग
की
बैलेंस
शीट
पर
पड़
सकता
है|
सरकारी
एजेंसीज
के
आलावा
हाल
ही
में
कांग्रेस
पार्टी
ने
भी
श्री
कमलनाथ
के
आदेश
पर
एक
कमिटी
गठित
की
है
जो
इन
बीहड़ो
में
जाकर
नकली
शराब
के
कारोबार
की
जडो
को
कुरेदेगी|
पिछले
तीन
दिनों
के
डेवलपमेंट
को
देखा
जाए
तो
समझ
आता
है
की
स्थानीय
मीडिया
भी
बड़ी
उत्सुकता
से
इस
कारोबार
की
छानबीन
कर
रही
है|
मुख्यमंत्री
जी
अगर
चाहे
तो लोकल
मीडिया
के
संवाद
सूत्रों
को
क्राइम
रिक्रिएशन
के
लिए
इस्तेमाल
किया
जा
सकता
है
इसके
आलावा
इन
में
से
बहुत
से
लोग
गवाह
बन
कर
दोषियों
को
कटघरे
तक
भी
पहुंचा
सकते
है|
वैसे
आज
के
हालातो
को
देखते
हुए,
शिवराज
सिंह
चौहान
जी
के
कुछ
फैसलों
की
आलोचना
हो
रही
है|
मसलन
उन्होंने
तत्काल
प्रभाव
से
जिले
के
कलेक्टर
और
एस
पी
को
पद
से
हटा
दिया|
लोकल
मीडिया
के
अग्रणी
समाचार
पत्र
“अजय भारत”
ने
इसे
“नेताओ की
बलि
का
बकरा
बने
कलेक्टर
वर्मा
एवं
एस
पी
सुजानिया”
के
शीर्षक
के
अंतर्गत
प्रकाशित
किया
है|
समाचार
का
शीर्षक
अपने
आप
में
बहुत
कुछ
कहता
है|
“अजय भारत”
में
प्रकाशित
इस
खबर
में
निवर्तमान
कलेक्टर
और
एस
पी
की
कार्यप्रणाली
पर
संतोष
जताया
गया
है|
आंकड़े
इस
बात
की
पुष्टि
करते
हैं
की
एस
पी
अनुराग
के
आने
के
बाद
शराब
माफिया
की
मुसीबते
बढ़ी
थी,
उन्होंने
आक्रामक
तरीके
से
दबिश
देकर
गैर
कानूनी
शराब
के
ट्रांसपोर्टेशन
पर
रोक
लगाने
का
प्रयास
किया
था|
कलेक्टर
अनुराग
वर्मा
ने
अभी
कुछ
ही
दिन
पहले
पद
संभाला
था
और
ये
कहना
गलत
नहीं
होगा
की
वो
इस
समय
gestation
की
प्रक्रिया
से
गुज़र
रहे
थे,
स्वच्छता
आन्दोलन
की
रेस
में
लाने
के
लिए
शहर
को
बारीकी
से
समझना
ज़रूरी
था
और
कलेक्टर
अनुराग
वर्मा
वही
कर
रहे
थे|
माननीय
शिवराज
सिंह
चौहान
ने
जिस
ट्रिगर
हैप्पी
अंदाज़
में
बिना
किसी
जांच
के
इन
दो
अधिकारियों
को
पदच्युत
किया
है
उसे
लेकर
स्थानीय
लोग
अचंभित
है
और
एक
बड़े
तबके
में
इस
बात
पर
असंतोष
भी
है|
ये
तबका
इन
दोनों
के
हटाये
जाने
को
शराब
माफिया
और
प्रशासन
की
मिलीभगत
से
जोड़
रहा
है|
हालांकि
हमारे
सामने
इन
narratives के सिरे
जोड़ने
के
लिए
पर्याप्त
सबूत
तो
नहीं
है
मगर
फिर
भी
जो
लोग
ये
कह
रहे
है
की
कलेक्टर
और
एस
पी
को
हटाया
जाना
“सैदध्न्तिक
रूप”
से
गलत
है,
उनके
विचारो
को
एक
मुखर
मंच
देकर
हम
राजनीति
के
प्रशासन
में
दखल
और
राजनीति
की
मंशा
के
बारे
में
एक
डिबेट
ज़रूर
शुरू
करना
चाहते
हैं|
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