अगर मुरेना के कुछ समाचार पत्रों की खबरों को
सही माना जाए तो आजकल नगर निगम at the rate of बीस प्रतिशत पर टेंडर के हिसाब से आपके पेमेंट क्लियर कर रहा है| हालांकि
इन रिपोर्ट्स में ये साफ़ नहीं किया गया है की, टेंडर को जीतने के लिए कुल रकम का
कितना प्रतिशत ठेकेदारों से वसूला जा सकता है| अगर ये रिपोर्ट सच है तो हम कह सकते
हैं, करप्शन ने अब छोटे स्तर पर भी एक
organize इंडस्ट्री सेक्टर का रूप ले लिया
है|
“वन
इंडिया, एक जैसे नगर निगम” की थ्योरी पर मुरेना नगर निगम का एनालिसिस
मुरादनगर
में गिरी शमशान की छत ने वहां के नगर निगम अधिकारीयों के पैरो तले से ज़मीन खींच ली
है| आरोपी ठेकेदार का बयान आया है की उसने
ठेके की तीस प्रतिशत रकम नगर निगम अधिकारियो को चुकाई थी| सिविल इंजिनियरस और
ठेकेदारों का मानना है की जो ठेका पचास लाख में उठाया गया था वो काम सिर्फ दस से
बारह लाख में पूरा हो सकता था|
चलो इतना
तो पता लगा की मुरेना में नगर निगम द्वारा किये गए निर्माण कार्य मुरादनगर से दस
प्रतिशत ज्यादा मज़बूत होंगे क्यूंकि ठेकेदार ने दस प्रतिशत ज्यादा सीमेंट लगाया
होगा| आज मुरेना की मीडिया में जो रिपोर्ट सामने आई हैं वो साफ़ इशारा करती है की
नगर निगम द्वारा किये गए निर्माण भी मुरेना में मुरादनगर जैसी कहानी दोहरा सकते हैं|
वैसे भी हम लोग भारतीय हैं, सांप निकलने के बाद लकीर पीटना हमारी पुरानी आदत है|
मैं नगर
निगम के आला अधिकारियो से अपील करता हूँ की आज मुरेना नगर निगम में टेंडर के
चालचलन को लेकर जो सवाल उठाये गए हैं उन्हें जेनेरिक तरीके से एड्रेस किया जाए, ये
ना हो की अधिकारी और सम्बंधित दफ्तर एक
दुसरे को सरकारी प्रेम पत्र लिख कर फाइलों के वज़न बढ़ाते रहें और कुछ दिनों में ये
एक्स्पोस एक बस्ते में बंद होकर नगर निगम ऑफिस में पल रहे दुर्लभ किस्म के चूहों
के साथ मकड़ी के जालो की छाँव में रोमांस करने लगे|
राम नाम
सत्य है...नगर निगम सिर्फ माया है
पिछले
दिनों राम मंदिर निर्माण की साईट पर आई आई टी के एक्सपर्ट ये सुनिश्चित कर रहे हैं
की इस भव्य मंदिर की उम्र कम से कम एक हज़ार साल तो हो ही| इसी उत्तर प्रदेश
में देश की राजधानी से सटे एक शहर में
पचास लाख में तामीर की गयी शमशान घाट की छत सिर्फ तीन महीने में गिरी है| क्या इसी
को कहते हैं “वन इंडिया, वन गवर्नेंस|” अगर तीन महीने पहले योगी आदित्यनाथ के नगर
निगम योद्धाओ ने शमशान की छत बनाने को राम का दिया काम माना होता तो मुरादनगर समेत
इंडिया में लोग चैन से मर पाते और पच्चीस से ज्यादा आदमी शायद आज जिंदा भी होते|
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