तर्कशक्ति के धनी श्री रविश कुमार जी ने अपने प्राइम टाइम कार्यकर्म में लाल किले पर हुयी घटना का अपने ही अंदाज़ में क्रियाकर्म, माफ़ कीजिये पोस्टमार्टम किया| ये अंदाज़ा लगाना तो मुश्किल नहीं है की वो ये साबित करना चाहते थे की दीप सिद्धू भारतीय जनता पार्टी की तरफ से आन्दोलन में प्लांट किये गए हैं|
पहले सबूत के तौर पर रविश ने अपने एक होनहार रिपोर्टर की रिपोर्ट हमें
सुनवाई, जिसमें कहा गया की दीप सिद्धू नाम का एक्टर और पंजाब के कई लोकप्रिय सिंगर,
पंजाब में जन सभाए करके लोगो को किसान आन्दोलन में शामिल होने के लिए उकसा रहे
हैं| उस रिपोर्टर ने ये भी कहा की दीप सिद्धू का प्रभाव लोगो में सबसे ज्यादा था,
इसलिए किसान नेता उसे काफी तरजीह देते थे|साथ ही ये रिपोर्टर दीप सिद्धू की फेडरल
विचारधारा का उल्लेख करना भी नहीं भूला|
अब हम रविश जी को याद दिला दें, यही बात भारत सरकार के प्रतिनिधिनिधि
मंडल ने बार बार किसान नेताओ को समझाई
थी, उन्होंने कहा था की किसान आन्दोलन अब राजनीति चमकाने का मंच बन रहा है| यही
बात जी न्यूज़ के सुधीर चौधरी जी ने
स्वर्गीय किशोर कुमार जी के अंदाज़ में मिठास से भर कर किसान नेताओ के कान
में फूंकी थी, उन्होंने दीप सिध्दू जैसे लोगो को डिज़ाइनर आन्दोलनकारी का तमगा दिया
था| जगजीत सिंह जैसी मखमली आवाज़ में यही बात रजत शर्मा जी ने भी बार बार शास्त्रीयता
के साथ कही, उन्होंने कहा था की किसानो की आवाज़ की जगह अब राजनेताओ की आवाज़ सामने
आ रही है| उस वक्त रविश कुमार जी और उनकी टीम ने कहा था की मोदी समर्थक मीडिया
अफवाह फैला कर आन्दोलन को कमज़ोर करने की कोशिश कर रही है|
कल के प्राइम टाइम में रविश जी ने एक किसान नेता की बाइट सुनवाई जिसमें
किसान नेता ने कहा की जिस समय आन्दोलन में गुरवानी का पाठ हो रहा था उस समय दीप
सिद्धू और उसके साथी शराब पीकर महिलाओ को छेड़ रहे थे, सबूत के तौर पर उसने कुछ
महिलाओ का ज़िक्र किया जिन्होंने मंच पर आकर दीप सिद्धू की शिकायत की| अरे रविश
कुमार जी यही बात तो सुधीर चौधरी जी किसान आन्दोलन के अन्दर चल रही पिज़्ज़ा पार्टी
दिखाते हुए कही थी, इसी बात को रजत शर्मा रोज़ कह रहे थे की पेट की भूख और अधिकारों
के लिए आन्दोलन करने वाले आन्दोलनकारी ऐसे नहीं होते हैं| उस वक़्त रविश जी जैसी
सोच के सर्वज्ञानी you -tubers ने इन दोनों पत्रकारों पर ओल्ड फैशन सोच का आरोप
लगाया था|
कल हद तो तब हो गई जब रविश जी ने दिल्ली पुलिस की इंटेलिजेंस पर सवाल खड़ा
कर दिया, उन्होंने कहा की ये सब बाते पुलिस को क्यूँ पता नही थी| रविश जी हम आपसे सिर्फ
इतना कहना चाहते है की पुलिस, मीडिया, सरकार और लोकल इंटेलिजेंस यूनिट ने किसान
नेताओ को पब्लिक फोरम पर जा कर बार बार आगाह किया, बार बार कहा की कुछ उपद्रवी
तत्व और राजनेतिक
चेहरे आन्दोलन में आ गए हैं, तब रविश जी और उनकी टीम ने बार बार इस बात का खंडन
किया| अब ये कैसे हो सकता है की सनी देओल का खासमखास आपके आन्दोलन के मंच पर भाषण
दे रहा हो और आपको पता ना चले| किसान नेता जो बार बार कह रहे थे की आन्दोलन में
कोई राजनेतिक चेहरा नहीं है उस हिसाब से दीप सिद्धू तो आन्दोलन के लिए “करेला वो
भी बी जे पी चढ़ा” था| जो इतिहास लाल किले में घटना होने के बाद चौबीस घंटे में
ढूंढ लिया गया वो पिछले चालीस दिनों में कोई क्यूँ नहीं ढूंढ पाया|
रविश जी और किसान नेताओ को पेट के अनशन की नहीं अपने दिमागों को खुराक
देने की ज्यादा ज़रूरत है, देशभक्ति की ये खुराक उन्हें देने का मन बना लिया है
मीरा रोड और भायंदर की जनता ने| कविरत्न भारत ने “भारत की बात” में जनता के इसी मूड
का लेखा जोखा प्रस्तुत किया है| मीरा रोड और भयंदर की जनता का आक्रोश इस विडियो में भली भाँती देखा जा सकता है|
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