एम्स के डॉक्टर रणदीप गुलेरिया के बयान को तकरीबन सारे main stream मीडिया चैनल्स ने कवर किया है| अपनी सहूलियत के हिसाब से हर चैनल ने इस मेडिकल बुलेटिन को अपने पसंद के राजनेता के “कोरोना कल्याण” भाव से जोड़ा है| कुछ चैनल्स ने भा ज पा और कांग्रेस शासित राज्यों में चल रही कोरोना वैक्सीन की तैयारियों की तुलना भी की| इस तुलना में बेहतर कौन साबित हुआ होगा ये तो मेरे बिना बताये ही आपको पता होगा|
मीडिया
से रिक्वेस्ट है की राजनीतिक जलसे से परे ज़िम्मेदार रिपोर्टिंग करें
खैर वापस
लौटते हैं गुलेरिया साहब के मेडिकल बुलेटिन पर, इंडिया टी वी ने अपने बुलेटिन में
बताया की डॉक्टर गुलेरिया ने एक एप का भी उल्लेख किया है जहाँ कोरोना वैक्सीन के
साइड इफेक्ट्स आने पर संपर्क किया जा सकता है| मगर कमाल की बात ये है की आज हम
वैक्सीनेशन की महाक्रांति से सिर्फ छह दिन दूर है मगर किसी को भी कोरोना के वैक्सीन
के साइड इफेक्ट्स पता नहीं है| जो ज्ञानी ध्यानी लोग इन्टरनेट पर इन साइड इफेक्ट्स
सर्च करना चाहते हैं वो सावधान रहे, इंडिया में कौनसी वैक्सीन लगाईं जायेगी इसके
बारे में सही जानकारी कुछ लिमिटेड सोर्सेज पर ही मौजूद है|
यहाँ पर
एक ज़रूरी और समझनी पड़ेगी, पूरे कोरोना काल में दुनिया के सारे सर्च इंजन बड़ी इमानदारी
से काम कर रहे थे, covid, covid 19 और इस से जुड़े कोई भी कीवर्ड कभी भी एंटरटेन
नहीं किये गए| कोरोना की जानकारी आपको सिर्फ विश्व स्वास्थ्य संगठन और हर देश के
ज़िम्मेदार और विश्वसनीय सोर्सेज ने दी|
मगर
कोरोना की वैक्सीन के मामले में ये सर्च इंजन असहाय है क्यूंकि हर देश अलग वैक्सीन
प्रमोट कर रहा है| इस वजह से लोकल मीडिया और इंडियन मीडिया की ज़िम्मेदारी काफी बढ़
जाती है| सी बी आई न्यूज़ के प्रमुख की हैसियत से में अपने मीडिया के साथियो से
अपील करता हूँ की “कोरोना वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स” के बारे में ज़िम्मेदार और
aggressive रिपोर्टिंग का परिचय देते हुए लोगो को सत्य से परिचित करवाए|